वीडियो गेम्स से नहीं, टीवी और सोशल मीडिया से किशोरों को ज्यादा खतरा

वीडियो गेम्स से नहीं, टीवी और सोशल मीडिया से किशोरों को ज्यादा खतरा

सेहतराग टीम

अक्सर माता-पिता की शिकायत रहती है कि उनके बच्चे वीडियो गेम्स और सोशल मिडिया का इस्तेमाल बहुत हद तक कर रहे हैं। उन्हें दर रहता है कि इससे उनके बच्चों की सेहत पर बुरा असर होगा या उनके बच्चे मानसिक रूप से बीमार हो सकते हैं। अगर सोशल मीडिया की बात करें तो टीनेजर में इसका इस्तेमाल काफी बढ़ गया है या यूं कह लीजिए कि सोशल मिडिया का क्रेज बढ़ गया है। हालांकि हाल ही में इसी पर एक शोध किया गया जिसमे पता चला कि बच्चों में बढ़ती मानसिक बीमारियों खासतौर पर एंग्जाइटी की वजह टीवी और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना है। जबकि वीडियो गेम्स का उनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता है।

कनाडियन जर्नल ऑफ सायकाइट्री द्वारा प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि चार सालों में सोशल मिडिया के प्रयोग करने की एवरेज फ्रीक्वेंसी, कंप्यूटर का प्रयोग और टीवी देखने की एक ही समय सीमा टीनेजर्स को मानसिक रूप से बीमार कर रही है। स्टडी में बताया गया कि अगर टीनेजर्स जितना समय गेम खेलते है उतना ही समय अगर सोशल मीडिया पर बिताते हैं तो सोशल मीडिया से उनके दिमाग पर अधिक दवाब पड़ता है। ऐसा ही कुछ इतनी देर तक टीवी देखने पर भी होता है।

टीनेजर हो रहे हैं एंग्जाइटी का शिकार-

कनाडा में मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय के एक अध्ययन शोधकर्ता पेट्रीसिया कॉनरोड अनुसार अगर टीनेजर्स स्क्रीन पर बिताने वाले समय को व्यवस्थित कर लें तो अपनी एंग्जाइटी को कम कर सकते हैं। शोध के दौरान रिसर्चर्स ने पाया कि जिस टीनेजर ने भी एक जैसी ही समयावधि के लिए टीवी, कंप्यूटर और सोशल मीडिया का उपयोग किया, उनमें एंग्जाइटी के लक्षण उसी साल कई गुना बढ़ गए। जबकि जिन बच्चों ने केवल पढ़ाई के लिए कंप्यूटर का उपयोग किया, उनमें एंग्जाइटी के लक्षण बेहद कम देखने को मिले। हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि कंप्यूटर इन दो तरह के उपयोग को लेकर अभी और शोध किया जाना बाकी है।

 

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